2021 शुरू हो गया है दुनिया में वाहन बढ़ते जा रहे हैं पेट्रोल-डीजल के विकल्प तलाशे जा रहे हैं ऐसे में पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार जोर पकड़ रहा है गाड़ियों में जो बैटरी लगती है वह भारत में अब तक चीन से आती रही यह महंगी होने के साथ क्वालिटी में भी कमजोर है भारत इस का तोड़ निकालने की ओर बढ़ रहा है बैटरी के बारे में जो आने वाले वक्त में हर कार और बाइक की जान होगी इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी से नहीं चलती बल्कि बिजली से चलती हैं और यह बिजली बैटरी से मिलती है बैटरी चार्ज होती है आपकी गाड़ी सड़कों पर बिना प्रदूषण फैलाएं पराठे बढ़ती है जिस प्रकार देश और दुनिया के अधिकतर शहर प्रदूषण और दम गो टू हवा के सामना कर रहे हैं ऐसे में यह बैटरी वाले वाहन एक खुशनुमा विकल्प के रूप में दिख रहे हैं इनके द्वारा फूल तो बचा ही जा सकता है तथा प्रदूषण को भी दूर कर के वातावरण को हरा-भरा रखा जा सकता है आज फिलहाल एक ही समस्या है और वह है कि इलेक्ट्रिक वाहन बहुत महंगी है आप भी कभी शक्ति बाइक या कार लेने गए होंगे तो जान गए होंगे की इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल डीजल वाले वाहनों से काफी महंगे हैं
https://www.apnamistri.in/2021/01/180.htmlऑटोमोबाइल एक्सपर्ट विकास योगी के अनुसार
यह तकनीक रेगुलर इंजन से महंगी है क्योंकि लिथियम आयन बैटरी की सेल बहुत महंगे होते हैं दुनिया में केवल चार या पांच मैन्युफैक्चरर्स इन्हें बनाते हैं बाद में तो यह बनाते ही नहीं है मेड इन इंडिया इलेक्ट्रिक कारों में भी इन एक्सपोर्ट करना होता है लिथियम आयन बैटरी और इसकी मोटर बहुत महंगी आती है तकनीक नहीं है भारत में है नहीं इसलिए कीमत और भी ज्यादा है
अब सवाल यह आता है कि लिथियम आयन आखिर होता क्या है यह जानने के लिएहम पहुंचे केमिस्ट्री टीचर विनीत पवार की क्लास में उन्होंने बताया कि
लिथियम आयन बैटरी रिचार्जेबल होती है आपके मोबाइल में लैपटॉप में टेबलेट में रिस्ट वॉच में यही बैटरी लगती है आर्मी और अंतरिक्ष अनुसंधान में भी यही इस्तेमाल हो रही है अभी तक 118 एलिमेंट्स की खोज हुई है जिसमें लिथियम का एटॉमिक नंबर तीन है इसमें तीन इलेक्ट्रॉन तीन प्रोटॉन और 4 न्यूट्रॉन होते हैं जिसके कारण इसका मास बहुत कम होता है इलेक्ट्रॉनिक्स कॉन्प्लिकेशन के हिसाब से समझे तो ली थी इनकी गए बाहरी सेल में एक इलेक्ट्रॉन होता है जिसे यूज़ करके लिथियम आयन एल आई प्लस बनाता है लिथियम आयन बैटरीवोल्टा के बनाए सेल के कंसेप्ट पर काम करती हैhttps://www.apnamistri.in/2020/11/helogen-light-incandescent-lamp-2020.html
लिथियम आयन इतनी दासू चीज है कि इसका अंदाजा हम इस बात से लगा सकते हैं कि 2019 में नोबेल प्राइज जिन तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है वह इसी से संबंधित थे वे थे जॉन बी गुणवंत हम स्टेनिंग मीटिंग कम अकीरा योशिनो यही इन तीन वैज्ञानिकों का नाम है जिन्होंने दुनिया को यह रिचार्जेबल बैटरी का तोहफा दिया अमेरिका ब्रिटेन और जापान के वैज्ञानिकों ने यह शोध 1970, 80 के दशक में शुरू किया था ऐसा माना जाता है कि यह बैटरी जीवाश्म ईंधन पर इंसान की निर्भरता को काफी हद तक कम कर सकती है भारत में इन बेटियों के मामले में चीन पर निर्भर रहा है भारत में दिनोंदिन लिथियम की मांग बट रही है और उन तत्वों की भी जिनका होना बैटरी के लिए जरूरी है जैसे कोबाल्ट मैगनीज और निखिल अब यही चीन का असली खेल शुरू होता है दुनिया में यह तत्व चुनिंदा जगह पर ही पाए जाते हैं चीन को जहां जहां इन तत्व के भंडार का पता चला वहां पर चीन ने कब्जा करना शुरू कर दिया ऐसा माना जाता है कि दुनिया के कुलर लिथियम भंडार के आधे पर चीन ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कब्जा कर लिया है बोलीविया से लेकर चिल्ली तक चीन ने लिथियम के व्यापार पर अधिकार करने का प्रयास किया है अब यह भी समझा जा सकता है कि 2040 तक दुनिया की आधी से अधिक गाड़ियां इसी बैटरी पर चलने वाली है और चीन पूरी दुनिया को इसकी सप्लाई देने के लिए बेताब है फोर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन इस मामले में नंबर वन है और आगे भी नंबर वन बने रहने की संभावना है लेकिन अब यहां चीन के इस ग्रेट गेम में भारत खलल डालता दिख रहा है साल 2019 में भारत ने के ए बी आई एल यानी काबिल का प्लान बनाया दरअसल सरकार ने इस बात को समझा कि यह खनिज देश के लिए जरूरी है और चीन से इनको खरीदना काफी महंगा पड़ रहा है इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के 3 प्रतिष्ठान राष्ट्रीय एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड नाल्को हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड एचसीएल और इसके अलावा मिनरल इंसुलेशन कंपनी लिमिटेड यानी एमईसीएल की भागीदारी से बना खनिज प्रदेश इंडिया लिमिटेड यानी काबिल बनाया काबिल का काम है दुनिया भर में उन खनिजों को तलाशना जिनकी भारत को जरूरत है इसके दो फायदे होंगे पहला तो लोगों को वह खनिज मिलेंगे तथा दूसरा रोजगार भी बढ़ेगा काबिल को मनाना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि जलवायु सम्मेलन पेरिस मैं हुआ जो 2015 में उसमें ग्रीन हाउस गैसों को कम करने और हरित संसाधनों को अपनाने की भारत की वचनबद्धता है इसी के तहत इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर अधिक जोर देना होगा इसलिए भारत को का बिल चाहिए ही था क्या आपको पता है कि जापान में काफी पहले ही इलेक्ट्रिक गाड़ियां बना ली गई थी लेकिन लिथियम बैटरी के मामले में वह भी चीन पर निर्भरता जापान यहीं पर मार खा गया लेकिन भारत यह गलती नहीं करना चाहता यही कारण है कि लिथियम आयन बैटरी अपने देश में ही बनाने की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं इस बीच भारत के हाथ एक बड़ा लिथियम आयन का खजाना भी लग गया है कर्नाटक के एक शहर मांड्या में भारत को लिथियम का एक बहुत बड़ा भंडार हाथ लगा है हालांकि यह चिल्ली तथा बोलीविया जितना बड़ा तो नहीं है लेकिन फिर भी यह दुनिया की सबसे भंडारों में बड़े भंडारों में से एक है गुजरात में लिथियम आयन रिफाइनरी को बनाया जा रहा है ताजा खबर यह है कि काबिल ने अर्जेंटीना की एक फर्म के साथ समझौता भी किया है इसमें चिल्ली और बोलीविया आदि देशों से लिथियम आयन खरीदने की भी बात चल रही है यानी कि भारत लिथियम आयन खरीदेगा और उससे स्वदेशी बैटरी आ भी बनाएगा जिससे की आम आदमी बैटरी वाली कार खरीद पाएगा दूसरी बात यह है कि भारत लिथियम आयन बैटरी के मामले में कुछ प्रयोग भी कर रहा है जो सफल रहे तो चीन को कड़ी टक्कर मिल जाएगी
भारतीय वैज्ञानिकों की योजना लिथियम आयन बैटरी को और भी एडवांस बनाने की है जिसके लिए कोबाल्ट मैगनीज और निखिल की जगह पर कुछ दूसरे तत्वों का इस्तेमाल करके देखा जा रहा है ऐसे तत्व जो भारत में आसानी से मिल जाते हैं जो बैटरी को बेहतर बनाते हो और वजन में भी हल्के हो एक ऐसी बैटरी जिसको फिलहाल solid-state बैटरी कहा जा रहा है अगर भारत का यह चीन को टक्कर देने वाला प्लान कामयाब रहा तो भारत दुनिया की इस ग्रेट गेम में एक मजबूत दावेदार बन जाएगा जापान से लेकर अमेरिका तक तमाम देश इस क्षेत्र में तेजी से काम कर रहे हैं और भविष्य की इस इंधन पर सभी देशों की नजर है
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